
7 साल बाद पीएम मोदी चीन की धरती पर, वो भी रेड कारपेट के साथ! पिछली बार जब भारत-चीन आमने-सामने हुए थे तो गलवान की घाटी में पत्थर चले थे, इस बार कूटनीति के फूल बिछे हैं।
इस मुलाक़ात के साथ मोदी, शी जिनपिंग और पुतिन की तीर-तलवार के बिना तीन तलाक़ वाली बैठक हो रही है।
भारत के लिए ये समिट क्यों ‘बॉर्डर लाइन’ अहम है?
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2020 के बाद चीन से रिश्ते सब्ज़ी मंडी की प्याज़ जैसे हो गए थे – महंगे और आंख में पानी लाने वाले।
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अब SCO समिट में मोदी चीन को ये समझाने पहुंचे हैं कि “पड़ोसी बदलते नहीं, बस नीतियाँ सुधरनी चाहिए।”
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भारत इस मंच को अमेरिकी टैरिफ नीति का जवाब और रूस-यूक्रेन युद्ध की बीच कूटनीतिक बैलेंस बनाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकता है।
अमेरिका को क्यों लगी टैरिफ की मिर्ची?
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ट्रंप ने टैरिफ लगाकर BRICS और SCO जैसे संगठनों को ‘अमेरिका विरोधी फ्रंट’ घोषित कर दिया है।
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अब अगर भारत और चीन गले मिलते हैं, तो ट्रंप सोचते हैं, “कहीं मोदी अब मुझे UNFRIEND तो नहीं कर देंगे?”
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अमेरिका को डर है कि SCO में
पाकिस्तान
ईरान
रूस
चीन
और अब भारत — सभी मिलकर अमेरिकी हितों पर डिप्लोमैटिक बाउंसर फेंक सकते हैं।
क्या भारत-चीन डायरेक्ट फ्लाइट्स की ‘उड़ान’ भरेंगी?
ट्रांजिट में झुलसते भारतीय यात्रियों के लिए अच्छी खबर हो सकती है, अगर इस समिट में डायरेक्ट फ्लाइट्स की घोषणा हो जाती है। इससे न सिर्फ वक्त और पैसा बचेगा, बल्कि WhatsApp पर “कितने बजे पहुंचोगे?” का जवाब भी आसान हो जाएगा।
SCO: शंघाई फाइव से सुपरपावर क्लब तक
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1996: बनी थी सीमा विवाद सुलझाने के लिए, नाम था ‘शंघाई फाइव’
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2001: SCO में अपग्रेड
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2017: भारत-पाकिस्तान सदस्य
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2023-24: ईरान और बेलारूस भी onboard
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अब यह क्लब बन चुका है जनसंख्या, ऊर्जा, व्यापार और भू-राजनीति का बड़ा केंद्र
मोदी-जिनपिंग की मुलाकात पर अमेरिका क्यों घबरा रहा है?
क्योंकि अगर ये दोनों सीमा विवाद भूलकर सेल्फी लेने लगें, तो
क्वाड, AUKUS और ट्रंप सब के सब टेंशन मोड में चले जाएंगे।
ट्रंप की सोच: “अगर ये साथ आ गए तो मेरा टैरिफ झुनझुना बन जाएगा क्या?”
SCO समिट 2025 भारत के लिए सिर्फ एक कूटनीतिक इवेंट नहीं, बल्कि बॉर्डर पर भरोसा, बिज़नेस में बैलेंस और अमेरिका को संकेत देने का मंच बन चुका है।
अब देखना है कि मोदी के इस दौरे के बाद भारत-चीन बॉर्डर पर सैनिक मुस्कुराते हैं या फिर डबल पोस्टिंग शुरू होती है।
अफजाल अंसारी की RSS प्रमुख की तारीफ ने उड़ा दिए सियासी फ्यूज़